रुद्राक्ष: ग्रह दोष और स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान

जिस तरह एक स्वस्थ, हरे-भरे और पुष्पों से सुसज्जित पौधे के लिए उसकी जड़ों का मजबूत और विकसित होना आवश्यक है, उसी प्रकार मानव शरीर रूपी पौधे की उन्नति के लिए आध्यात्म की जड़ों का विस्तार तथा प्रसार बहुत महत्वपूर्ण है। रुद्राक्ष ही भगवान शिव का वह दिव्य आशीर्वाद है जो आध्यात्म की जड़ों को विकसित कर स्वास्थ्य रूपी पुष्प और फल प्रदान करता है।
पौराणिक धर्म शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष भगवान शिव जी के आंसुओ से बना है। अतः इसको धारण करने से यह आपको भगवान शिव की दिव्य सकारात्मक ऊर्जा से जोड़ता है। स्कंद पुराण तथा शिव पुराण में रुद्राक्ष के चमत्कारी और दिव्य गुणों के वर्णन के साथ ही इसको धारण करने के महत्व की व्याख्या मिलती है।
रुद्राक्ष नामक वृक्ष के फलों से यह प्राप्त होता है तथा यह वृक्ष नेपाल, भारत और इंडोनेशिया में पाए जाते हैं। रुद्राक्ष को उसके मुखों की संख्या के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। हर रुद्राक्ष अपने मुख (फेस) के अनुसार अलग-अलग दिव्य आध्यात्मिक तथा स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार अपनी जन्म कुंडली के अनुसार सबसे उपयुक्त रुद्राक्ष की माला धारण करने से यह ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को दूर कर आपको उनकी सकारात्मक ऊर्जा के साथ जोड़ता है। अतः ज्योतिषीय परामर्श के अनुसार उपयुक्त रुद्राक्ष धारण करने से आपको ज्योतिषीय लाभ प्राप्त होंगे।
एक मुखी रुद्राक्ष
एक मुखी रुद्राक्ष को शिव जी का स्वरुप माना जाता है और यह सभी रुद्राक्षों में दुर्लभ और अद्वितीय गुणों वाला है। एक मुखी रुद्राक्ष गोल अथवा अर्द्ध चंद्राकार के आकार का होता है। इसको सोने अथवा चाँदी में मढ़वा कर धारण करना चाहिए।
यह रुद्राक्ष ह्रदय संबंधी रोगों, अस्थमा, परालीसिस, मानसिक तनाव,क्षय रोग,अस्थि संबंधी बीमारियों और आँखों से संबंधित रोगों आदि के लिए बहुत लाभदायक है। इस रुद्राक्ष का प्रभावी ग्रह सूर्य है, तथा इस रुद्राक्ष को धारण करने के साथ ही 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करने से इसके प्रभाव और लाभ में वृद्धि होती है।
दो मुखी रुद्राक्ष
दो मुखी रुद्राक्ष अर्द्धनारीश्वर का स्वरुप है तथा चन्द्रमा इसका प्रभावी ग्रह है। यह रुद्राक्ष तनाव, नपुसंकता, गुर्दे की बीमारियों, अवसाद, एकाग्रता की कमी, आतों के विकार, हिस्टीरिया तथा नकारात्मक स्वाभाव आदि को दूर करने में बहुत कारगर और लाभदायक है।
इस रुद्राक्ष को लाल धागे में धारण करना चाहिए और इसके साथ ही 'श्री गौरी शंकराय नमः’ एवं 'ॐ नमः’ मंत्र का जाप करना बहुत लाभदायक होगा।
तीन मुखी रुद्राक्ष
तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि तत्व एवं त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करता है तथा मंगल इस रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह है। यह रुद्राक्ष अवसाद, सिज़ोफ्रेनिया, अनियमित मासिक धर्म चक्र, तनाव, रक्तचाप, बुखार, पीलिया आदि रोगों के उपचार के लिए बहुत कारगर है।
इसके साथ ही इसको धारण करने से जन्म कुंडली में उपस्थित मंगल दोष भी दूर होता है। इस रुद्राक्ष का प्रभावशाली मंत्र 'ॐ क्लीम नमः’ है।
चार मुखी रुद्राक्ष
चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा और देवी सरस्वती का प्रतिनिधित्व करता है। इस रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह बुद्ध है। यह रुद्राक्ष रक्त परिसंचरण, खांसी, मस्तिष्क से जुड़े रोगों, अस्थमा, स्मृति हानि और स्वसन तंत्र जैसे रोगों के उपचार के लिए लाभकारी होता है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने के साथ ही 'ॐ ह्रीं नमः’ मंत्र का जाप करने से इसके लाभदायक गुणों में वृद्धि होगी तथा यह उन छात्रों के लिए उपयोगी है जो कमजोर है तथा जल्दी बीमार पड़ जाते हैं।
पांच मुखी रुद्राक्ष
पांच मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि का स्वरुप है और इसका प्रभावी ग्रह बृहस्पति होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से विवाह एवं संतान लाभ में वृद्धि होती है और इसका प्रभावी ग्रह बृहस्पति होता है। यह रुद्राक्ष रक्तचाप, जिगर रोग, नीले चक्र, बाल संबंधी रोगों, स्वसन कष्ट और शिशुओं को परास्त करने में अद्भुत लाभकारी होता है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने के साथ ही 'ॐ ह्रीं हुं नमः’ मंत्र का जाप करना बहुत लाभदायक होगा।
छह मुखी रुद्राक्ष
छह मुखी रुद्राक्ष के छे मुख अर्थात् अर्धनारीश्वर भगवान शिव की पूजा उपासना में हम दृष्टिगोचर होते हैं इसे शिव और पार्वती ने दी गई वरदान समझा जाता है। छह मुखी रुद्राक्ष प्राकृतिक रूप से ही छोटे विलोम विशेषज्ञ रूप से कौंठी लोगों में यह विशेष रूप से छह मुखी रुद्राक्ष का इस्तेमाल इनके देह तंत्र एवं मन को धन्य बनाने के लिए उपयोगी है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने से जन्म कुंडली में उपस्थित मंगल दोष भी दूर होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से विवाह एवं संतान लाभ में वृद्धि होती है और इसका प्रभावी ग्रह बृहस्पति होता है। यह रुद्राक्ष रक्तचाप, जिगर रोग, नीले चक्र, बाल संबंधी रोगों, स्वसन कष्ट और शिशुओं को परास्त करने में अद्भुत लाभकारी होता है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने के साथ ही 'ॐ ह्रीं हुं नमः’ मंत्र का जाप करना बहुत लाभदायक होगा।
सात मुखी रुद्राक्ष
सात मुखी रुद्राक्ष सप्तर्षियों का प्रतिनिधित्व करता है। इसका प्रभावी ग्रह शनि होता है और इसको धारण करने से शनि दोष में लाभ होता है। यह रुद्राक्ष सभी प्रकार की रोगों के उपचार में उपयोगी होता है और यह व्यक्ति के व्यवसाय, शिक्षा और धन संबंधी प्राचीन ग्रहों के पक्ष में बहुत ही उपयोगी रहता है।
इसके साथ ही इस रुद्राक्ष को धारण करते हुए 'ॐ हुं नमः’ मंत्र का जाप करने से इसका प्रभाव और लाभ दोगुना होता है।
आठ मुखी रुद्राक्ष
आठ मुखी रुद्राक्ष विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है और इसका प्रभावी ग्रह राहु होता है। यह रुद्राक्ष धन, स्वास्थ्य, दुर्बलता, संघर्ष, दिल की बीमारी, त्यागी एवं मानव जीवन के संबंध में लाभकारी होता है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने से 'ॐ ह्रीं ग्रें चंद्र भुवने श्रीयं विश्वरूपे हुं फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप करने से इसके लाभदायक गुणों में वृद्धि होती है।
नौ मुखी रुद्राक्ष
नौ मुखी रुद्राक्ष नवदुर्गाओं का प्रतिनिधित्व करता है। इसका प्रभावी ग्रह चंद्रमा होता है और इसे धारण करने से चंद्र दोष में लाभ होता है। यह रुद्राक्ष माँ दुर्गा के आशीर्वाद से बना है और इसके प्रभाव से रोग, दुर्बलता, अन्याय, अधर्म और विपत्तियों से रक्षा मिलती है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने से 'ॐ ह्रीं क्लीं हुं क्लीं ज्वालय ज्वालय बटुकाय हुं फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप करना बहुत लाभकारी होता है।
दस मुखी रुद्राक्ष
दस मुखी रुद्राक्ष दस महाविद्याओं का प्रतिनिधित्व करता है। इसका प्रभावी ग्रह सूर्य होता है और इसे धारण करने से सूर्य दोष में लाभ होता है। यह रुद्राक्ष अद्वितीय गुणों से युक्त है और इसका प्रभाव व्यक्ति के विवाह, स्वास्थ्य, दिल की बीमारी, न्याय, विजय, धन, संघर्ष, संदेह और भय को परास्त करने में अद्वितीय होता है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने से 'ॐ ह्रीं क्लीं हुं ज्वालय ज्वालय क्रिया फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप करने से इसके लाभदायक गुणों में वृद्धि होती है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के ग्यारह मुख प्राकृतिक रूप से ही अद्वितीय गुणों से युक्त है। इसका प्रभावी ग्रह गुरु होता है और इसे धारण करने से गुरु दोष में लाभ होता है। यह रुद्राक्ष माँ महालक्ष्मी की कृपा से बना है और इसके प्रभाव से इसके लाभदायक गुणों में धन, अध्ययन, विवाह, धन, दुर्बलता, संघर्ष, दिल की बीमारी, संघर्ष, जन्म कुंडली में उपस्थित राहु के दोष, अन्याय, अधर्म और विपत्तियों से रक्षा मिलती है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने से ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के गुणों में वृद्धि होती है और इसे धारण करने से 'ॐ ह्रीं अर्क क्षौं हुं फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप करना बहुत लाभकारी होता है।
बारह मुखी रुद्राक्ष
बारह मुखी रुद्राक्ष के बारह मुख अर्थात् श्री सूर्य भगवान की पूजा उपासना में हम दृष्टिगोचर होते हैं इसे बारहामी पूजा की अपार प्रतिमा समझा जाता है। बारह मुखी रुद्राक्ष विशेष रूप से कौंठी लोगों में यह विशेष रूप से बारह मुखी रुद्राक्ष का इस्तेमाल इनके देह तंत्र एवं मन को धन्य बनाने के लिए उपयोगी है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने से जन्म कुंडली में उपस्थित मंगल दोष भी दूर होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से विवाह एवं संतान लाभ में वृद्धि होती है और इसका प्रभावी ग्रह बृहस्पति होता है। यह रुद्राक्ष रक्तचाप, जिगर रोग, नीले चक्र, बाल संबंधी रोगों, स्वसन कष्ट और शिशुओं को परास्त करने में अद्भुत लाभकारी होता है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने के साथ ही 'ॐ ह्रीं हुं नमः’ मंत्र का जाप करना बहुत लाभदायक होगा।
तेरह मुखी रुद्राक्ष
तेरह मुखी रुद्राक्ष का प्रभावी ग्रह केतु होता है और इसे धारण करने से केतु दोष में लाभ होता है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति को व्यापार, शिक्षा, संघर्ष, विजय, धन, दिल की बीमारी, संघर्ष, जन्म कुंडली में उपस्थित राहु के दोष, अन्याय, अधर्म और विपत्तियों से रक्षा मिलती है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने से 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं थं हुं फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप करने से इसके लाभदायक गुणों में वृद्धि होती है।
चौदह मुखी रुद्राक्ष
चौदह मुखी रुद्राक्ष विष्णु भगवान के अंश है। इसका प्रभावी ग्रह वेदिका होता है और इसे धारण करने से वेदिका दोष में लाभ होता है। यह रुद्राक्ष धर्म, धर्म, ज्ञान, विज्ञान, धन, समाधान, संघर्ष, दिल की बीमारी, संघर्ष, जन्म कुंडली में उपस्थित राहु के दोष, अन्याय, अधर्म और विपत्तियों से रक्षा मिलती है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने से 'ॐ ह्रीं अर्क ध्यान हुं फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप करना बहुत लाभकारी होता है।
पंद्रह मुखी रुद्राक्ष
पंद्रह मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव और शक्ति की पूजा उपासना में हम दृष्टिगोचर होते हैं इसे शिव और शक्ति ने दी गई वरदान समझा जाता है। पंद्रह मुखी रुद्राक्ष विशेष रूप से कौंठी लोगों में यह विशेष रूप से पंद्रह मुखी रुद्राक्ष का इस्तेमाल इनके देह तंत्र एवं मन को धन्य बनाने के लिए उपयोगी है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने से जन्म कुंडली में उपस्थित मंगल दोष भी दूर होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से विवाह एवं संतान लाभ में वृद्धि होती है और इसका प्रभावी ग्रह बृहस्पति होता है। यह रुद्राक्ष रक्तचाप, जिगर रोग, नीले चक्र, बाल संबंधी रोगों, स्वसन कष्ट और शिशुओं को परास्त करने में अद्भुत लाभकारी होता है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने के साथ ही 'ॐ ह्रीं हुं नमः’ मंत्र का जाप करना बहुत लाभदायक होगा।
सोलह मुखी रुद्राक्ष
सोलह मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु और शिव जी का स्वरुप है और इसको “जय रुद्राक्ष” के नाम से भी जाना जाता है। इस रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह है। सोलह मुखी रुद्राक्ष कुष्ठ रोग, क्षय रोग तथा फेफड़ों से संबंधित समस्याओं के उपचार में बहुत लाभदायक है। इस रुद्राक्ष को धारण करने के साथ ही “ॐ ह्रीं हूं नमः” मंत्र का जाप बहुत लाभकारी होता है।
सत्रह मुखी रुद्राक्ष
सत्रह मुखी रुद्राक्ष भगवान विश्वकर्मा तथा देवी दुर्गा माँ का प्रतिनिधित्व करता है। इस रुद्राक्ष के उपयोग से स्मृति लोप तथा शारीरिक कमजोरी के विकार जैसी बीमारियों से मुक्ति मिलती है। इस रुद्राक्ष को धारण करने के साथ 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप कल्याणकारी फल प्रदान करता है।
अठारह मुखी रुद्राक्ष
अठारह मुखी रुद्राक्ष धरती माँ का स्वरुप है और इसको 'भूमि रुद्राक्ष' के नाम से भी जाना जाता है। अठारह मुखी रुद्राक्ष मानसिक असंतुलन तथा कमजोरी जैसे रोगों के उपचार के लिए बहुत लाभदायक है। इस रुद्राक्ष का मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' है।
उन्नीस मुखी रुद्राक्ष
उन्नीस मुखी रुद्राक्ष माता लक्ष्मी और प्रभु नारायण को समर्पित है। यह रुद्राक्ष रक्त विकार तथा रीढ़ की हड्डी के विकार, मधुमेह जैसे रोगों के ईलाज के लिए बहुत लाभकारी है। इस रुद्राक्ष को धारण करने के साथ ही 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप बहुत लाभकारी होता है।
बीस मुखी रुद्राक्ष
बीस मुखी रुद्राक्ष भगवान ब्रह्मा को समर्पित है और इसका उपयोग दृष्टि संबंधी बीमारियों तथा सांप के काटने के उपचार के लिए किया जाता है। इस रुद्राक्ष का मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' है।
इक्कीस मुखी रुद्राक्ष
इक्कीस मुखी रुद्राक्ष भगवान कुबेर का प्रतिनिधित्व करता है और यह दिव्य रुद्राक्ष हर तरह के रोगों को दूर करता है। इस रुद्राक्ष का मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' है।
त्रिजुटी रुद्राक्ष
त्रिजुटी रुद्राक्ष त्रिदेव (भगवान ब्रम्हा, श्री विष्णु और महेश) का स्वरुप है। यह दुर्लभ रुद्राक्ष शरीर के सभी बाहरी तथा आंतरिक रोगों के उपचार के लिए बहुत लाभकारी है। इस रुद्राक्ष को धारण करने के साथ ही “ॐ नमः शिवाय” अथवा “ॐ त्रिमूर्ति देवाय नमः” मंत्र का जाप शुभ फल प्रदान करता है।
गौरी शंकर रुद्राक्ष
गौरी शंकर रुद्राक्ष भगवान शिव व देवी पार्वती का स्वरुप है और इस रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह चन्द्रमा है। गौरी शंकर रुद्राक्ष व्यवहार संबंधी विकारों और यौन समस्याओं के लिए बहुत उपयोगी है। इस रुद्राक्ष के साथ “ॐ गौरीशंकराय नमः” मंत्र का जाप बहुत कल्याणकारी होता है।
गर्भ गौरी रुद्राक्ष
गर्भ गौरी रुद्राक्ष माता पार्वती और उनके पुत्र श्री गणेश का प्रतिनिधित्व करता है। गर्भ गौरी रुद्राक्ष गर्भधारण संबंधी समस्याओं को दूर करने में बहुत लाभकारी है। गर्भ गौरी रुद्राक्ष को धारण करने के साथ “ॐ नमः शिवाय” अथवा “ॐ गर्भ गौरियाय नमः” मंत्र का जाप बहुत कल्याणकारी होता है।
निष्कर्ष #
रुद्राक्ष के विभिन्न रूप मनुष्य जीवन में उपस्थित आध्यत्मिक, मानसिक, शारीरिक तथा ज्योतिषीय समस्याओं के समाधान प्रदान करता है। रुद्राक्ष की दिव्य ऊर्जाओं का सम्पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए अपनी जन्म कुंडली के अनुसार और ज्योतिषीय परामर्श के साथ ही इसको धारण करना चाहिए। शुद्ध और अभिमंत्रित रुद्राक्ष धारण करने से सटीक और जल्द लाभ प्राप्त होता है।
शुद्ध और अभिमंत्रित रुद्राक्ष प्राप्त करने तथा सही ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त करने के लिए आप हमारे वेब साइट वैदिक ऋषि से सम्पर्क कर सकते है।
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