कुंडली मिलान: हिन्दू विवाह में अष्टकूट मिलान का महत्व और विधि
भारत में विवाह को एक महत्वपूर्ण जीवन का पड़ाव माना जाता है। 'विवाह' भारतीय संस्कृति के 16 संस्कारों में से एक संस्कार है। यह 16 'संस्कार' मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ लाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इन सभी 16 संस्कारों का अपना अपना विशेष महत्व होता है, किन्तु आज इस ब्लॉग में हम ''विवाह'' के विषय में बात करेंगे।
हमारे हिन्दू शास्त्रों में विवाह को जन्म से पहले ही तय हो जाने वाला एक बहुत पवित्र योग समझा जाता है। अतः विवाह के लिए कुंडली मिलान महत्वपूर्ण होता है। ये मिलान व्यक्ति की उम्र, बुद्धिमत्ता, और व्यवहारिक संतुलन को समझने के लिए अत्यधिक आवश्यक होता है।
इस मिलान का महत्व सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों तथा दोनों परिवार में पारिवारिक संतुलन बन पायेगा या नहीं इस बात की जानकारी के लिए महत्वपूर्ण होता है। लड़के या लड़की के माता-पिता विवाह से पूर्व शिक्षा, सांस्कृतिक, और व्यावसायिक पृष्ठभूमि तो देखते ही है इसके साथ कुंडली मिलान के माध्यम से वो ये देखना चाहते हैं कि उनके बच्चे का वैवाहिक जीवन खुशियों से भरा तथा फलदायक होगा या नहीं।
क्या है कुंडली मिलान ?
कुंडली मिलान को गुण मिलान और लग्न मिलान जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। इस मिलान की प्रक्रिया में वर-वधु के जन्म कुंडलियों का मिलान करके यह देखा जाता है कि विवाह होने के बाद वैवाहिक जीवन में सुख व सम्पन्नता होगी या नहीं। गुणों का मिलान इसलिए भी किया जाता है ताकि यह पता चल सके कि विवाह करने वाला जातक मांगलिक है या नहीं। नवमांश चार्ट के मिलान से वैवाहिक संबंध की मजबूती का पता लगाया जाता है।
कुंडली में गुण मिलान तथा उसके प्रकार:
उत्तर भारत में एक परंपरागत तथा सरल गुण मिलान की एक विधि अपनाई जाती है जिसे 'अष्टकूट मिलान' भी कहा जाता हैं। शाब्दिक रूप से इसका अर्थ 'आठ गुणों' के मिलान से होता है। इन आठ परिप्रेक्ष्य या कूटों को वैवाहिक जीवन की अनुकूलता को निर्धारित करने के लिए निश्चित संख्या का मान दिया जाता है और यही संख्यात्मक मानक बताता है कि विवाह करने वाले जोड़े एक-दूसरे के लिए कितने अनुकूल हैं।
यह आठ गुण है वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट, तथा नाड़ी इन्हीं आठ गुण के आधार पर अंकों का मानक तय किया जाता है और फिर प्राप्त अंक के आधार पर ये तय किया जाता है कि जिनके गुणों का मिलान किया जा रहा है, वो दोनों एक-दूसरे के लिए कितने अनुकूल है।
दक्षिण भारत में विवाह करने से पूर्व एक जटिल मिलाप विधि अपनाई जाती है जिसे 'दशकूट (दस पहलू) मिलान' कहा जाता है। इस विधि में जो उन आठ गुणों के अतिरिक्त अन्य चार गुण है वो हैं महेंद्र कूट, दीर्घ कूट, वेध कूट, और रज्जु कूट जिसपर भी उन आठ कूटों के अतिरिक्त विचार किए जाते हैं।
'अष्टकूट' मिलान विधि:
''अष्टकूट मिलान'' इसके शब्दों से साफ होता है कि इसका अर्थ है, 8 परिप्रेक्ष्य का मिलाप, जिसमें प्रत्येक गुण - चंद्र राशियों तथा जन्मकालीन चंद्र नक्षत्रों पर आधारित है। आमतौर पर इसमें नवमांश चार्ट को बहुत अधिक ध्यान में नहीं रखा जाता है ।
अष्टकूट तथा उसके परिप्रेक्ष्य निम्नलिखित हैं:
- वर्ण – यह विवाह करने वाले जातक की - आध्यात्मिक योग्यता को प्रतिष्ठित करता है। वर्ण, विवाह करने वाले लड़का या लड़की दोनों के - व्यक्तित्वों को प्रदर्शित करता है। वर्ण कूट का मिलान वैवाहिक जीवन में - प्रेम तथा सम्मान की उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। जिनका विवाह हो रहा है, यदि उन दोनों लोगों का वर्ण मिलान हो जाता है तो, उसके लिए - एक अंक प्राप्त होते हैं।
- वश्य – यह विवाह के बंधन में बंधने वाले जोड़े के बीच - सामंजस्य तथा दोनों एक-दूसरे को अपने व्यक्तित्व से प्रभावित कर सकते हैं या नहीं, इस बात को प्रदर्शित करता है। सरल भाषा में कहे तो, यह उनके बीच स्थापित होने वाले - संबंध की मजबूती की गणना करता है। जिनका विवाह हो रहा है, उन दोनों लोगों के वश्य मिलान होने पर - दो अंक प्राप्त होते हैं।
- तारा – तारा विवाह के बंधन में बंधने वाले जोड़े की - कुशलता तथा लम्बी उम्र को दर्शाता है। इस मिलान से ये पता चलता है कि जिनका विवाह होने वाला है वो रोग-मुक्त रहेंगे तथा दीर्घकालिक जीवन का सुख उठा सकेंगे। जिनका विवाह हो रहा है, उन दोनों लोगों के तारा मिलान होने पर - तीन अंक प्राप्त होते हैं।
- योनि – योनि, विवाह के बंधन में बंधने वाले जोड़े की - आत्मीय स्तर, यौन संगतता, और सामंजस्य प्रेम को प्रदर्शित करता है। यह उनकी भोग विलासी प्राकृतिक तथा उनकी विशेषता का मिलान करता है। जिनका विवाह हो रहा है, उन दोनों लोगों के योनि मिलान होने पर - 4 अंक प्राप्त होते हैं।
- ग्रह मैत्री – यह कूट जोड़े के बीच - मानसिक संगतता, प्रेम तथा मैत्री भावना को प्रदर्शित करता है। यह कूट इस बात को भी दर्शाता है कि विवाह के बाद दोनों एक-दूसरे के लिए मुश्किल समय में खड़े सकते हैं या नहीं। ग्रह मैत्री मिलान होने पर - पांच अंक प्राप्त होते हैं।
- गण – गण कूट - व्यावहारिक विशेषताएँ, मानसिक संगतता, और स्वभावों को निर्धारित करता है। ये कूट इस बात को प्रदर्शित करता है कि दोनों एक-दूसरे के लिए कितने अनुकूल हैं। गण मिलान होने पर - छः अंक प्राप्त होते हैं।
- भकूट – यह विवाह के बंधन में बंधने वाले जोड़े की - भावनात्मक संगतता को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि विवाह के बंधन में कैसे किसी एक व्यक्ति पर पड़ने वाला कोई भी प्रभाव दूसरे को प्रभावित कर सकता है, एक-दूसरे का साथ निभाने के लिए दोनों की मानसिक तथा शारीरिक क्षमता क्या है, तथा दोनों एक दूसरे की भावना को कितना समझ सकते हैं। जिनका विवाह हो रहा है, उन दोनों लोगों के भकूट कूट मिलान होने पर - सात अंक प्राप्त होते हैं।
- नाड़ी – नाड़ी दोनों व्यक्ति के - स्वास्थ्य तथा संतान के संबंध में योग्यता का मूल्यांकन करता है। समान नाड़ी में विवाह करने की सलाह नहीं दी जाती है। नाड़ी कूट के मिलान होने पर - 8 अंकों की प्राप्ति होती है।
अष्टकूट मिलान में सभी कूट मिलान के अंक दिए जाते हैं, अष्टकूट मिलान द्वारा प्राप्त अंकों का विश्लेषण निम्नलिखित है:
प्राप्त अंक के आधार पर परिणाम:
- 33 से 36 अंक प्राप्त होने पर उत्कृष्ट मिलान माना जाता है।
- 25 से 32 अंक प्राप्त होने पर बहुत अच्छा मिलान माना जाता है।
- 18 से 24 अंक प्राप्त होने पर स्वीकार्य स्थिति मानी जाती है, किन्तु इस बात का ध्यान रखा जाता है कि अन्य कूटों का मिलान उचित तरीके से किया जाए।
- 18 अंक प्राप्त होने पर ये माना जाता है कि ये - उचित मिलान नहीं हुआ।
विवाह से पूर्व जातकों के बीच सभी रूपों में सामंजस्य स्थापित करना ही एक सफल वैवाहिक जीवन की कुंजी है। इसलिए अष्टकूट मिलान की सटीक गणना और विस्तृत विश्लेषण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
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निष्कर्ष #
इस अष्टकूट मिलान में तीन महादोषों - नाड़ी दोष, भकूट दोष और गण दोष की स्थिति को ध्यान नहीं दिया जाता है। इसके पीछे का सिद्धांत ये है कि विवाह के बंधन में बंधने वाला लड़का या लड़की की राशि एक हो या एक ही ग्रह हो तो अष्टकूट के ये तीनों दोष निरस्त हो जाते हैं।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि गुण मिलान के अंक केवल होने वाले दूल्हे और दुल्हन के बीच के सामंजस्य स्तर को निर्धारित करने वाले कई कारकों में से एक कारक हैं। इसके अलावा मांगलिक होना, विवाह के संबंध की दीर्घकालिकता, आर्थिक स्थिति की जानकारी इत्यादि का भी मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
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